बैठे बैठे जाने कब आँख लग गई मेरी ।रात का आखिरी पहर था सुमित अभी तक लौट कर नही आए थे ।बस यूँही टेबल के पास पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी । बाहर मौसम इतना खराब था कि फ़ोन लग नही रहा था बार बार डीसकनेक्ट हो रहा था ।समझ मे नही आ रहा था कि क्या करूँ ।बस यही बैठ सुमित का इंतजार करने लगी ।ऊपर से लाइट भी चली गई ।जाने कब कुर्सी पर बैठे बैठे आँख लग गई ।बाहर मौसम खुल चुका था धूप सीधी मेरे चेहरे पर पड़ रही थी ।मैं हड़बड़ा कर उठ गई ।सामने दीवार पर लगी घड़ी पर नजर पड़ी मेरी ।दिन के नौ बज रहे थे । टेबल पर रखे फोन पर नजरें दौड़ाई । सोचा कि फ़ोन मिला कर देखु ।जैसे ही हाथ मे फोन उठाया इतने में बाहर डोर बेल बज उठी ।और मैं लपक कर दरवाजे की तरफ गई ।सामने सुमित खड़ा था उसको सामने देखकर मेरी जान में जान आई । ©Dr Manju Juneja #रात #आखिरी #मौसम #बाहर #खराब #खिड़की #चहरे #कहानी #shortsyory #Shades