ये चार साल तो नुमाइश है बंदे कलम में धार आना अभी बाकी है। रहने दे ..हाँ हाँ.. रहने दे अभी मुझे इस अंधेरे में अभी असल उजाला आना बाकी है। ज़िन्दगी गुज़र जाएगी चन्द दिनों में इसलिये..हाँ हाँ.. इसलिए ज़िन्दगी में उबाल आना बाकी है। रहने दे अभी उसे उसी के घर मे हाँ हाँ.. रहने दे अभी उसे उसी के घर मे अभी उसको लाने के लिए इंतेज़ार बाकी है। ये मौत का सफर तो बस ज़िन्दगी का हिस्सा है हाँ हाँ.. ये मौत का सफर तो बस ज़िन्दगी का हिस्सा है अभी समंदर में ज्वार आना बाकी है। कुछ दिन रहो मेरी निघाओं से दूर तुम हाँ हाँ तुम्ही से कह रहा हु कुछ दिन रहो मेरी निघाओं से दूर तुम अभी तुम्हारा अंदाज़-ऐ-बयान आना बाकी है। तुस्वर नही थी मुझे ये ज़िन्दगी हाँ.. हाँ तुस्वर नही थी मुझे ये ज़िन्दगी अभी उससे मेरा इन्तेक़ाम बाकी है। बैठी है दूर कहीं किधर, किसको क्या पता बैठी है दूर कहीं किधर, किसको क्या पता अभी उसका और मेरा इकरार होना बाकी है। चाँद सूरज सब ढले इसी गगन में हाँ हाँ ...चाँद सूरज सब ढले इसी गगन में रुक जाओ सब अभी इस गगन में, मेरी उड़ान बाकी है। -Utkarsh chauhan