तल्खियां ऐसी भी क्या मौजूद जिनके हल न हो जिस तरह का आज है कभी उस तरह का कल न हो और गुजरते वक़्त सी न बीत जाए जिंदगी ढूंढता जिसको कमल कहीं फिर कभी वो पल न हो तल्खियां