शब्द तो बहुत हैं,अर्थ खो गए हैं देखो तेरे बिन यारा,हम क्या हो गए हैं अपने तो बहुत हैं,अपना कोई नहीं है खुली आंखों में जैसे ज़िंदा सपने सो गए हैं आहिस्ता-आहिस्ता हो रही हैं,गहरी माथे की लकीरें रास्ते तो बहुत हैं लेकिन मकसद खो गए हैं यूँ तो है बहुत अच्छा,शब्दों में तुम्हें लिखना फिर से तुम्हें जीना जख़्म गहरे हो गए हैं बड़ी मुख़्तसर सी ज़िंदगी है,अंजान कोई शख्स रह गया है अंदर शोर उठ रहा है,कान बहरे हो गए हैं वक्त ने है सिखाया,उसके फ़ैसलों पर गिला न करना न जाने किसके हिस्से के गुनाह भी अब मेरे हो गए हैं... © trehan abhishek #शब्द #अर्थ #manawoawaratha #yqbaba #yqdidi #hindipoetry #hindishayari