जरा तमीज़ से बटोरना बुझे दियों को इन्होंने अमावस की अन्धेरी रात में हमें रौशनी दी थी किसी और को जलाकर खुश होना अलग बात है इन्होंने तो खुद को जलाकर हमें खुशी दी थी