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मैं करूं क्या यकीं होता नहीं खुद पर और तू कहता है

मैं करूं क्या यकीं होता नहीं खुद पर 
और
तू कहता हैं तुझ पर कर लूं
मैंने चन्द मोहब्बत के दिन भी जी कर देखे 
मगर दिल कहता हैं 
इससे अच्छा तो मैं नफ़रत कर लूं
तोड़ा सबने दिल को मेरे बारी बारी से 
अब फ़क़त 
मैं खुद से खुद का रिश्ता जोड़ लूं....... (2)

©writer....Nishu...
  #khud se khud ka rista

#Khud se khud ka rista

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