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*अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में,* *

*अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में,*
*लिखा तो है सफ़र मगर मंज़िल का निशान नहीं* *अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में,*
*लिखा तो है सफ़र मगर मंज़िल का निशान नहीं*
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*अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में,*
*लिखा तो है सफ़र मगर मंज़िल का निशान नहीं* *अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में,*
*लिखा तो है सफ़र मगर मंज़िल का निशान नहीं*
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*अजीब सी पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की लकीरों में,* *लिखा तो है सफ़र मगर मंज़िल का निशान नहीं* ❣❣ #Shayari