डल गया सूरज, सांझ हो गईं। लहराती लहरें ,बहती हवाओं से मुलाकात हो गईं। ना वक्त ना वक्त का दरिया , तेरी ही बातो से मेरा मन भरिया। ख्वाईशे तेरी मेरी साथ चल गई। ना रहता मैं इंतज़ार में, जानें वो कैसी यांद रह गईं। राहें तकते तकते, सांझ हो गईं। ©Varun Mahera #सांझ_शैलेश #eveningtea #even #Nojoto