White जहाँ अभिषेक-अम्बुद छा रहे थे, मयूरों-से सभी मुद पा रहे थे, वहाँ परिणाम में पत्थर पड़े यों, खड़े ही रह गये सब थे खड़े ज्यों। करें कब क्या, इसे बस राम जानें, वही अपने अलौकिक काम जानें। कहाँ है कल्पने! तू देख आकर, स्वयं ही सत्य हो यह गीत गाकर। बिदा होकर प्रिया से वीर लक्ष्मण-- हुए नत राम के आगे उसी क्षण। हृदय से राम ने उनको लगाया, कहा--"प्रत्यक्ष यह साम्राज्य पाया।" ©@BeingAdilKhan #Sad_Status PreetKaurSardarni