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क्यूँ लगता है अनुचित मुझे फांसना किसी को शब्दजाल


क्यूँ लगता है अनुचित मुझे 
फांसना किसी को शब्दजाल में?
बार -बार मैं क्यूँ पड़ता हूँ
न चाहकर भी माया के जंजाल में?
यहाँ सब तो उलझे ही हैं
आखिर खास क्या है मेरे मलाल में?
क्यूँ डरता हूँ अपनापन से?
क्या रखा है मेरे व्यर्थ के सवाल में?
समझना कठिन है मेरे लिए
क्यूँ न लाख सिर पटक लूँ दीवाल में !
ग़र समझ न सकें आप मुझे
तो छोड़ दीजिए मुझको मेरे हाल में ॥ #mycondition

क्यूँ लगता है अनुचित मुझे 
फांसना किसी को शब्दजाल में?
बार -बार मैं क्यूँ पड़ता हूँ
न चाहकर भी माया के जंजाल में?
यहाँ सब तो उलझे ही हैं
आखिर खास क्या है मेरे मलाल में?
क्यूँ डरता हूँ अपनापन से?
क्या रखा है मेरे व्यर्थ के सवाल में?
समझना कठिन है मेरे लिए
क्यूँ न लाख सिर पटक लूँ दीवाल में !
ग़र समझ न सकें आप मुझे
तो छोड़ दीजिए मुझको मेरे हाल में ॥ #mycondition