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मौसम  ने  मचाया  हाहाकार। है बारिश और ओलों की मार।

मौसम  ने  मचाया  हाहाकार।
है बारिश और ओलों की मार।                  किसान की
आस  लगाए  बैठे  कृषक सब,                     व्यथा
कुछ  भी  नहीं करती सरकार।

कभी सूखा, कभी  बाढ़ आये।            14/03/2020
कुदरत  आखिर  क्यों  सताये।
कोई नहीं  उनका सुनने वाला,
सदा  रहते  कृषक  ही लाचार।
आस  लगाए  बैठे  कृषक सब,
कुछ  भी  नहीं करती सरकार।

फसल किसान भले ही उगाये।
उसका दाम  कोई और लगाये।
खाद,बीज, के.सी.सी. खातिर,
दौड़ते हैं  सभी कई - कई बार।
आस  लगाए  बैठे  कृषक सब,
कुछ  भी  नहीं करती सरकार।

खड़ी  फसल  जब  गिर जाये।
लाख जतन से  अन्न घर आये।
मुसीबत  में   ही  रहते  हरदम,
किसका  अब  करें भी पुकार।
आस  लगाए  बैठे  कृषक सब,
कुछ  भी  नहीं करती सरकार। #ओलावृष्टि 
#विश्वासी
मौसम  ने  मचाया  हाहाकार।
है बारिश और ओलों की मार।                  किसान की
आस  लगाए  बैठे  कृषक सब,                     व्यथा
कुछ  भी  नहीं करती सरकार।

कभी सूखा, कभी  बाढ़ आये।            14/03/2020
कुदरत  आखिर  क्यों  सताये।
कोई नहीं  उनका सुनने वाला,
सदा  रहते  कृषक  ही लाचार।
आस  लगाए  बैठे  कृषक सब,
कुछ  भी  नहीं करती सरकार।

फसल किसान भले ही उगाये।
उसका दाम  कोई और लगाये।
खाद,बीज, के.सी.सी. खातिर,
दौड़ते हैं  सभी कई - कई बार।
आस  लगाए  बैठे  कृषक सब,
कुछ  भी  नहीं करती सरकार।

खड़ी  फसल  जब  गिर जाये।
लाख जतन से  अन्न घर आये।
मुसीबत  में   ही  रहते  हरदम,
किसका  अब  करें भी पुकार।
आस  लगाए  बैठे  कृषक सब,
कुछ  भी  नहीं करती सरकार। #ओलावृष्टि 
#विश्वासी