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धरती के इस छोर से उस छोर तक मुट्ठी -भर सवाल लिये म

धरती के इस छोर से उस छोर तक
मुट्ठी -भर सवाल लिये मैं
दौड़ती-हांफती-भागती
तलाश रही हूं सदियों से निरन्तर
अपनी ज़मीन, अपना घर
अपने होने का अर्थ

#निर्मला_पुतुल

©river_of_thoughts
  #Poetry