कागज़" मेरा नाम है बहुत छोटा परंतु नहीं हूं मैं खोटा कापिया मुझ से है बनती खबरें मुझ पर ही छपती मुझ पर किया जाता प्यार का इजहार मेरे चिट्ठी रूप का होता इंतजार मुझ पर ही लिखे जाते कविता व गीत शोक व शहनाई संदेश सुनाना मेरी रीत मैं हूं कलम का साथी रहते संग, जैसे सूँढ और हाथी मैं भी तरु से ही आता हूं इतिहास बनकर चला जाता हूं यही है मेरा कर्म kaagaz