माँ देखा है तुझे मज़दूरी करते हुए उस पालने से जहाँ मुझे तू लिटाया करती थी। माँ देखा है तुझे दुख में भी मुस्कुराते हुए उस कमरे की खिड़की से जहाँ तू मुझे सुलाया करती थी। माँ देखा है तुझे मेरे लिए ताना सुनते हुए उस जगह पर जहाँ तू मुझे ले जाया करती थी। माँ देखा है तुझे मेरे लिए पैसे जमा करते हुए उस घर की छत से जहाँ तू मुझे पढ़ाया करती थी। माँ देखता करता था अक्सर तुझे मेरे लिए सब कुछ करते हुए और आंखों में सपने लिए मुझे हमेशा आगे रखते हुए।। ©K PRIYANKA 🌸 माँ देखा है तुझे.... (read poem⬇) माँ देखा है तुझे मज़दूरी करते हुए उस पालने से जहाँ मुझे तू लिटाया करती थी।