कब तक यूं ही चलती रहेगी ये जिंदगी फिर से बही रात बही दिन की कहानी है फिर क्यों दो दिन की ही रहती है क्यों नहीं सदा बहार रहती ये जिंदगी क्यों है ये गमों के साय और क्यों नहीं सदा खुशी रहती कब तक चलेगा ये सब कहते हैं ये दुनिया का दस्तूर है सभी जाने को मजबूर हैं सदियों से ऐसा ही होता आया है और कोई इसे बदल नहीं पाया है कब तक यूं ही चलता रहेगा कब तक और कब तक? ©Jyoti Prakash #कब तक