धूप सुनैहरी खूब फब रही अपने जीवन के बसंत में रात चांदनी भी मखमली सी दस्तक दे रही आंगन में तुम परियों सी लगती हो बेशक मैं पर्वत से कम नहीं जिधर भी देखोगी शर्तिया नजर आएंगे सिर्फ हम ही बहुत ही छोटे दिन होते हैं प्रिय खुशियों से सुसज्जित खुशियां टिकी रहेंगी तुम विश्वास रखना वास्तविक बबली गुर्जर ©Babli Gurjar वास्तविक