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काका की वसीयत कविता अनुशीर्

                    काका की वसीयत 


कविता अनुशीर्षक में ..........


 नये मकान के कोने में काका का  छोटा सा मकान 
संभाल रखा है काका ने जैसे हो जिंदगी की दुकान,
काका को दिखता उसमे हरपल अपनी  हैसियत 
बच्चे बांट रहे थे आज काका की सारी वसियत !!

वसीयत?हां वही मिट्टी का छोटा सा मकान 
मकान के अंदर पड़ी बहुत  पुरानी सी टाँड़, 
टाँड़ ने अपने में छुपा रखे थे कुछ कागजात
                    काका की वसीयत 


कविता अनुशीर्षक में ..........


 नये मकान के कोने में काका का  छोटा सा मकान 
संभाल रखा है काका ने जैसे हो जिंदगी की दुकान,
काका को दिखता उसमे हरपल अपनी  हैसियत 
बच्चे बांट रहे थे आज काका की सारी वसियत !!

वसीयत?हां वही मिट्टी का छोटा सा मकान 
मकान के अंदर पड़ी बहुत  पुरानी सी टाँड़, 
टाँड़ ने अपने में छुपा रखे थे कुछ कागजात

नये मकान के कोने में काका का छोटा सा मकान संभाल रखा है काका ने जैसे हो जिंदगी की दुकान, काका को दिखता उसमे हरपल अपनी हैसियत बच्चे बांट रहे थे आज काका की सारी वसियत !! वसीयत?हां वही मिट्टी का छोटा सा मकान मकान के अंदर पड़ी बहुत पुरानी सी टाँड़, टाँड़ ने अपने में छुपा रखे थे कुछ कागजात #yqbaba