।।श्री हरी।।
13 - स्नान
'दादा! स्नान करेगा तू?' कन्हाई अग्रज के समीप दौड़ा-दौड़ा आया और वाम पार्श्व में खड़े होकर दोनों भुजाएँ भाई के कण्ठ में डालकर कन्धे पर सिर रखकर बड़े स्नेहपूर्वक पूछ रहा है।
'स्नान?' दाऊ ने तनिक सिर घुमाया। वे इस पूछने का अर्थ जानते हैं। श्यामसुंदर स्नान करना चाहता है। शैशव से यह जल पाते ही उसमें लोट-पोट होने में आनन्द मनाता रहा है।स्नान योग्य जल हो तो स्नान करने को इसका मन मचल पड़ता है। लेकिन मैया ने बार-बार मना किया है कहीं यमुना अथवा सरोवर में स्नान करने को। सखाओं को मैया ने सचेत किया है कि कन्हाई को पानी में न उतारने दें। अत: सखा कोई साथ नहीं देंगे। अब दाऊ दादा स्नान करना चाहे तो श्याम भी स्नान करे, फिर कोई रोकेगा नहीं। सब सखा साथ देंगे तब।
'कितना स्वच्छ जल है।' कृष्णचन्द्र ने यमुना की ओर संकेत किया - 'तुझे स्वेद भी तो आ गया है।' #Books