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घूँघट तो आभूषण हैं। सभ्य समाज की स्त्रियों की लाज़

घूँघट तो आभूषण हैं।
सभ्य समाज की स्त्रियों की लाज़ है।
यह कवच की तरह कार्य करता है।
नव वधू की हिम्मत बनता है।
बड़ों के प्रति सम्मान प्रकट करता है।

जिस तरह से इसे बताया गया
यह कोई पर्दा या उससे जुड़ी कोई प्रथा नहीं है।
घूँघट तो परंपरा है।संस्कृति है।स्वतंत्रता है।

आधुनिक होते समाज में भी
'नज़र लगना' जैसा कुछ आज भी माना जाता है।
घूँघट उस लगने वाली नज़र से बचने बचाने का
एक उपक्रम है।

समाज में सकारात्मक और नकारात्मक
दोनो तरह के पहलू होते हैं।
घूँघट की अपनी उपयोगिता है।
वह समाज को सुंदर बनाने की छमता रखता है। घूँघट तो आभूषण हैं।
सभ्य समाज की स्त्रियों की लाज़ है।
यह कवच की तरह कार्य करता है।
नव वधू की हिम्मत बनता है।
बड़ों के प्रति सम्मान प्रकट करता है।

जिस तरह से इसे बताया गया
यह कोई पर्दा या उससे जुड़ी कोई प्रथा नहीं है।
घूँघट तो आभूषण हैं।
सभ्य समाज की स्त्रियों की लाज़ है।
यह कवच की तरह कार्य करता है।
नव वधू की हिम्मत बनता है।
बड़ों के प्रति सम्मान प्रकट करता है।

जिस तरह से इसे बताया गया
यह कोई पर्दा या उससे जुड़ी कोई प्रथा नहीं है।
घूँघट तो परंपरा है।संस्कृति है।स्वतंत्रता है।

आधुनिक होते समाज में भी
'नज़र लगना' जैसा कुछ आज भी माना जाता है।
घूँघट उस लगने वाली नज़र से बचने बचाने का
एक उपक्रम है।

समाज में सकारात्मक और नकारात्मक
दोनो तरह के पहलू होते हैं।
घूँघट की अपनी उपयोगिता है।
वह समाज को सुंदर बनाने की छमता रखता है। घूँघट तो आभूषण हैं।
सभ्य समाज की स्त्रियों की लाज़ है।
यह कवच की तरह कार्य करता है।
नव वधू की हिम्मत बनता है।
बड़ों के प्रति सम्मान प्रकट करता है।

जिस तरह से इसे बताया गया
यह कोई पर्दा या उससे जुड़ी कोई प्रथा नहीं है।