रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है, रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं, रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है। ©"TIGER _THE FEARLESS TIGER" #Shayari# PoetryWith@|{@|\||{$#@