दुनियाँ अजीव है न! अंग के लिए ; अपनो का संग छोर जाते हैं स्थितियाँ बदलना तो छोरो, वे अपनो को भुल जाते हैं; अंग-रंग के भ्रम में पङ कर, अपनों का याद नहीं आती; जब-तक आखें खुलती है, तब-तक देर है ,हो जाती। ©Mk Bihari अंग-रंग का चक्कर #Journey