तेरे शहर की गलियों में , तेरे मोहल्ले में आया हूं मैं , ज़रा बाहर निकल के तो देख , कितना बदल पाया हूं मैं .! वही है आदत मेरी ,वही मासूम चेहरा है , जहां छोड़ा कभी तुमने , वहीं दिल आज भी ठहरा है । आज भी तेरा नाम बड़ी हिफाज़त से संभाल रखा है , तुम सिर्फ़ मेरे हो , आज भी यही वहम दिल ने पाल रखा है । भूलने की लाख़ कोशिश की , मगर कहां तुम्हें भूला पाया हूं मैं .., तेरे शहर की गलियों में , तेरे मोहल्ले में आया हूं मैं , ज़रा बाहर निकल के तो देख , कितना बदल पाया हूं मैं .! ©Vikash Mehra KD #विकास_मैहरा_केडी__ #sunkissed