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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2018 में

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2018 में प्रति वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रपति बालिका दिवस की शुरुआत की थी इस दिन शिक्षा में लड़कियों को अधिकार शिक्षा और लैंगिक समानता दूर करने के प्रति जागरूक फैलाई जाती थी आज ऐसे ही कोई क्षेत्र नहीं है जहां लड़कियों के लिए अपने हुनर का लोहा मनवाया हो पर अभी तो बना दी कि आज भी लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है भले ही आज समाज में महिला समानता का ढिंढोरा पीटा जा रहा है वह लेकिन ऐसा कोई भी चीज नजर नहीं आता जहां वीडियो को बराबरी का अधिकार दिया गया है उल्लेखनीय है कि जब आप किसी लड़कियों को स्कूल भेजते हैं तो इससे पहले काम का अवसर हमेशा के लिए रहता है यह पहला पीढ़ी तक जनहित के तमाम कार्य के लिए आगे बढ़ने का काम करती है स्वास्थ्य से लेकर आर्थिक लाभ लेंगे का संबंध था और राष्ट्रीय समिति तक है अगर एक बालिका के स्कूल जाने पर मात्र से इतनी चीजें समृद्ध होती हैं तो फिर आज की शादी में भी हमारी सोच सुनने क्यों है क्यों आज भी अंधकार बच्चियों स्कूलों का मुंह देखने से वंचित रह जाती हैं स्कूल का मूर्ति भी है आगे की पढ़ाई जारी क्यों नहीं रख पाती ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि 1 दिन दिवस मनाए लेने के लिए स्थित बदलाव नहीं आने वाला है उसके लिए समग्रता स्तर पर और राज सामाजिक चेतना का विकास करना जरूरी है आज विश्व भर में जलवायु परिवर्तन समस्या की गूंज सुनाई दे रही है इससे होने वाले आर्थिक और समाजिक नुकसान की भी चर्चा आम बात हो गई है इस पर भी बड़ी समस्या और आधी आबादी के साथ हो रहे लेकिन इस पर नहीं होते

©Ek villain # संकुचित बेटी के विकास में बाधक

#Walk
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2018 में प्रति वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रपति बालिका दिवस की शुरुआत की थी इस दिन शिक्षा में लड़कियों को अधिकार शिक्षा और लैंगिक समानता दूर करने के प्रति जागरूक फैलाई जाती थी आज ऐसे ही कोई क्षेत्र नहीं है जहां लड़कियों के लिए अपने हुनर का लोहा मनवाया हो पर अभी तो बना दी कि आज भी लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है भले ही आज समाज में महिला समानता का ढिंढोरा पीटा जा रहा है वह लेकिन ऐसा कोई भी चीज नजर नहीं आता जहां वीडियो को बराबरी का अधिकार दिया गया है उल्लेखनीय है कि जब आप किसी लड़कियों को स्कूल भेजते हैं तो इससे पहले काम का अवसर हमेशा के लिए रहता है यह पहला पीढ़ी तक जनहित के तमाम कार्य के लिए आगे बढ़ने का काम करती है स्वास्थ्य से लेकर आर्थिक लाभ लेंगे का संबंध था और राष्ट्रीय समिति तक है अगर एक बालिका के स्कूल जाने पर मात्र से इतनी चीजें समृद्ध होती हैं तो फिर आज की शादी में भी हमारी सोच सुनने क्यों है क्यों आज भी अंधकार बच्चियों स्कूलों का मुंह देखने से वंचित रह जाती हैं स्कूल का मूर्ति भी है आगे की पढ़ाई जारी क्यों नहीं रख पाती ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि 1 दिन दिवस मनाए लेने के लिए स्थित बदलाव नहीं आने वाला है उसके लिए समग्रता स्तर पर और राज सामाजिक चेतना का विकास करना जरूरी है आज विश्व भर में जलवायु परिवर्तन समस्या की गूंज सुनाई दे रही है इससे होने वाले आर्थिक और समाजिक नुकसान की भी चर्चा आम बात हो गई है इस पर भी बड़ी समस्या और आधी आबादी के साथ हो रहे लेकिन इस पर नहीं होते

©Ek villain # संकुचित बेटी के विकास में बाधक

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