खेलती है खुशियां भी लुकाछिपी हमेशा ना जाने क्यों मुझ से ही अब ढूंढने निकल पड़ी हूं मै भी खोज लाऊंगी छिपी है जहां भी फिर चाहे करनी क्यों ना पड़े पड़ताल सखी पाताल की गहराई से आकाश की ऊंचाई की बबली गुर्जर ©Babli Gurjar लुकाछिपी