#OpenPoetry जहां बीस करोड़ रहे भूखे सोने को मिले फुटपाथ गटर जिस देश की बेटी खौफ ज्यादा बैठे बचपन की दहलीज पर हम कैसे गर्व करें उस पर जिस जगह करोड़ों बच्चो का जीवन चलता कचरा चुनक जिस मुल्क में गिस्ता नौजवान और पल-पल गिस्ता हो कंकर हम कैसे गर्व करें उस पर---2 जिस देश का टिंचर घौट रहा ओ खिचड़ी दलीय दिन दिन भर जहां ऊंची शिक्षा चाट रहे कितने अज्ञानी प्रोफ़ेर हम कैसे गर्व करें उस पर जिस देश की वैद्युत वैज्ञानिक गर्दन में पहने हो जंतर--2 जहां जानलेवा हो अस्पताल और डॉक्टर से लगता हो डर हम कैसे गर्व करें उस पर जहां जानवरों की पूजा हो इंसानों पर चलते खंजर जब ज्ञान के नाम पर भरा हुआ वो इंसानी सर में गोबर हम कैसे गर्व करें उस पर जहां जीवन के संसाधन पर कुंडली मार बैठे अजगर जिस देश में जारी जन हत्या हो जात धर्म के नफरत पर हम कैसे गर्व करें उस पर हम कैसे गर्व करें उस पर हम कैसे गर्व करें उस पर "😌😌आदित्य कमल कि कृति से" एक तार्किक का कविता