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रिश्तों की धूप न मिले तो घर भी मर जाते हैं... मैं

रिश्तों की धूप न मिले 
तो घर भी मर जाते हैं...
मैंने उसे तोड़ दिया वो फूल
फिर मुस्कुरा रहा था...
डामर नहीं है उस पुरानी 
सड़क पर किसी नेता का 
नाम आज भी है...
मेरा हाथ नहीं था बस मेरी 
कुछ लकीरें थी उसके हाथों 
में सोच-समझकर व्यापार
होता है प्यार नही...
-वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73 #रिश्ते_की_डोर
रिश्तों की धूप न मिले 
तो घर भी मर जाते हैं...
मैंने उसे तोड़ दिया वो फूल
फिर मुस्कुरा रहा था...
डामर नहीं है उस पुरानी 
सड़क पर किसी नेता का 
नाम आज भी है...
मेरा हाथ नहीं था बस मेरी 
कुछ लकीरें थी उसके हाथों 
में सोच-समझकर व्यापार
होता है प्यार नही...
-वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73 #रिश्ते_की_डोर