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poetry Ankit sharma इनायतों के टुकड़ों में वो कब

poetry 
Ankit sharma 

इनायतों के टुकड़ों में वो कब करतें हैं इजाफा 
हैं दर्द मंसूब है हमसे तो रहने दो 

पीये पडा हूँ दो घूँट जब्त कंमबख्त रंज में 
अब कहती है मयपरस्त दुनिया तो कहने दो 

कश्तियाँ कर रहीं हैं अंकित मुसाफ़िरों की तरफदारी
दरियाओं को उनके मुताबिक बहने दो #Gazals#shayri
poetry 
Ankit sharma 

इनायतों के टुकड़ों में वो कब करतें हैं इजाफा 
हैं दर्द मंसूब है हमसे तो रहने दो 

पीये पडा हूँ दो घूँट जब्त कंमबख्त रंज में 
अब कहती है मयपरस्त दुनिया तो कहने दो 

कश्तियाँ कर रहीं हैं अंकित मुसाफ़िरों की तरफदारी
दरियाओं को उनके मुताबिक बहने दो #Gazals#shayri
ankitsharma2105

Ankit Sharma

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