ज़िंदगी भी क्या कमाल है जवाब से ज्यादा सवाल है, प्यासा हूँ तो प्यासा ही मर जाने दे। मेरा दामन छोंड़ मुझे घर जाने दे।। तेरे गांव की गलियों में कहीं खो न जाऊँ। मुझे माँ से मिलना है शहर जाने दे।। तेरा मिलना कहीं तुझे बदनाम न कर दे। कुछ दिन भूल जा मुझको इश्क का सुरूर उतर जाने दे। तुझसे मिलते मिलते कितना बिगड़ गया हूं मैं। मेरी तालीम अभी अधूरी है,बक्त रहते सुधर जाने दे।। मैं नादान था न जाने तुझसे क्या क्या बादे कर बैठा। माफ़ कर मुझे अपने बादे से मुकर जाने दे।। मैं मोती हूँ अपने हाथों में छुपाकर कब तक रखोगी। गले में पहन ले मुझको या बिखर जाने दे।। ✍️Satish Sharma✍️ #shayri