प्रेम क्या है ये बताने को हम हुए ज़ुदा! ना जाने कैसी है कृष्ण तुम्हारी चेतना! आत्मसमर्पण कर दिया मैंने तुमपे, सहते रहे हम दोनों विरह की वेदना! तुम मेरी रूह में बसे हो साँस बनकर! हमतुम पूरे है कृष्ण,फिर क्यूँ है आधा! धन्य है जीवन मेरा साथ तेरा पाकर, जब से तुम नें कृष्ण मेरा हाँथ है थामा! कलयुग में प्रेम साबित करना मुश्किल! देह की इच्छा को देते है प्रेम का नाम! मेल-मिलाप आत्माओं का नहीं करते, चलाते है संसार में लालच का व्यापार! थाम लो हमें तुम कृष्ण और रह जाओ मेरे आसपास! या बना लो बाँसुरी की धुन घुली रहूँ मैं बनकर आवाज़! ♥️ Challenge-813 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।