मोह हैं खुशी का मायावी गली है सामने हैं फुल खिला और प्यासी कली हैं कितना लम्बा है दौर बसंत की रितु का एक बहार पाने में सदीया लगी है पतझड खडा था सावन कि चौखट पर फुलो से ढकी सडके लहू से सनी है एक ही परी थी जो जानती थी उसे अब कहाँ किसे महोब्बत फूलो से होती हैं a part of my short story book lili #yellowflower