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प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-3 "सुबह 6: 30 बज

प्लेसमेंट-एक सफल असफलता 
पार्ट-3
   "सुबह 6: 30 बजे मेरा MD का लेक्चर था और अवनी की भी पावर इलेक्ट्रॉनिक्स की क्लास थी इसी लिए मैं आज सुबह 6 :00 बजे ही रूम से निकल गया था। क्युकी उससे मिलना था। मै जब कॉलेज गेट पर पहुंचा तो वो दिख गयी । मैंने उससे गुड मॉर्निंग बोला तो उसने थोड़ा नाराज होकर बोला गुड मॉर्निंग मिस्टर इग्नोरर। मुझे समझ नही आई उसकी इस बेरुखी की वजह,मैंने पूछा क्या बात है तो बोली रात मे मेसेज सींन कर  जबाब क्यों नही दिया। मै चुप हो गया, वो बोली "बताओ बताओ" । "हर सवाल का जबाब नही होता अवनि कुछ समझने पडते हैं " और इतना कहकर में क्लास लेने चला आया पूरी क्लास में शर्मा सर कुछ पढाते रहे पर मेरे मन में जब भी अवनि के उस मेसेज की तस्वीर और अर्नब की वो बात दोनो एक आंतरिक युद्ध कर रहे थे। सच मे  युद्ध मे किसी की जीत नही होती क्युकी दोनो पक्षों ने कुछ ना कुछ तो खोया होता है और मैं नही चाहता था कि मै उसको पाकर खोऊ, आखिर क्यों इतना जुड़ाव हो गया था।मुझे अवनि से 1 साल पहले ही तो वो मिली थी। पता कैसे वो मेरी जिंदगी के अहम शख्सो में शामिल हो गयी, यही तो उसकी खूबियत थी। जिसके भी करीब जाती थी उसको अपना बना लेती थी। कोई छोड़ना ही नही चाहता था उसका साथ, उसकी क्लास का टॉपर अंकित तो उसको नोट्स मे लवलेटर लिख कर भेजता था। एक बार पकड लिया मैंने उसको, वो तो डर ही गया था। तब से आज तक अवनि और मैं साथ में नोटस बनाते है । उसके नोट्स के चक्कर में मुझे पता चला की TV और Antina भी सब्जेक्ट होते हैं और वो मुझसे पूछती थी स्वप्निल "ये  TOM कौन सा सब्जेक्ट है यार "  और खिलखिलाकर हंसती थी। और मैं बस उसे एक टक देखता ही रहता, 
सच में उसके साथ पता ही नही चलता था दिन का, 
सारी थकान गायब सी हो जाती थी "जब उसको होस्टल छोड़ते वक्त उसकी "बाय स्वप्निल को सुनता था।" वक्त तेजी से बीत रहा था फरवरी आ चुकी थी। 
मैं अपने करीयर के बारे मे ज्यादा सोचने लगा था। और थोडी टेंशन भी रहती थी। इस लिए अब अवनि के मेसेज के  रिप्लाई भी कम देता था। मैं चाहता था की वो मुझसे कम बात करे क्युकी मुझे पता था कि कॉलेज के बाद उसको भूलना मेरे लिए सिर्फ शब्द रहे जायेंगे। यही तो हमे सिखाती है इंजीनियरिंग , कम खर्च में बेहतरीन, यही चाहता था मैं कि हम अलग होने पर भी बेहतरीन रहे पर एक दोस्त के रूप में, आँसू और अपने सपनो को इन पर खर्च ना करे। मैं होस्टल पहुँच चुका था। सच में जिम्मेदारियां और सोच कदमो की रफ़्तारो को थाम देती है ।यही कारण था कि मैंने 10मिनट की दूरी आधे घंटे मैं तय की थी उस दिन ..... 
#जलज  कुमार #world_health_day प्लेसमेंट-एक सफल असफलता
पार्ट-3
   "सुबह 6: 30 बजे मेरा MD का लेक्चर था और अवनी की भी पावर इलेक्ट्रॉनिक्स की क्लास थी इसी लिए मैं आज सुबह 6 :00 बजे ही रूम से निकल गया था। क्युकी उससे मिलना था। मै जब कॉलेज गेट पर पहुंचा तो वो दिख गयी । मैंने उससे गुड मॉर्निंग बोला तो उसने थोड़ा नाराज होकर बोला गुड मॉर्निंग मिस्टर इग्नोरर। मुझे समझ नही आई उसकी इस बेरुखी की वजह,मैंने पूछा क्या बात है तो बोली रात मे मेसेज सींन कर  जबाब क्यों नही दिया। मै चुप हो गया, वो बोली "बताओ बताओ" । "हर सवाल का जबाब नही होता अवनि कुछ समझने पडते हैं " और इतना कहकर में क्लास लेने चला आया पूरी क्लास में शर्मा सर कुछ पढाते रहे पर मेरे मन में जब भी अवनि के उस मेसेज की तस्वीर और अर्नब की वो बात दोनो एक आंतरिक युद्ध कर रहे थे। सच मे  युद्ध मे किसी की जीत नही होती क्युकी दोनो पक्षों ने कुछ ना कुछ तो खोया होता है और मैं नही चाहता था कि मै उसको पाकर खोऊ, आखिर क्यों इतना जुड़ाव हो गया था।मुझे अवनि से 1 साल पहले ही तो वो मिली थी। पता कैसे वो मेरी जिंदगी के अहम शख्सो में शामिल हो गयी, यही तो उसकी खूबियत थी। जिसके भी करीब जाती थी उसको अपना बना लेती थी। कोई छोड़ना ही नही चाहता था उसका साथ, उसकी क्लास का टॉपर अंकित तो उसको नोट्स मे लवलेटर लिख कर भेजता था। एक बार पकड लिया मैंने उसको, वो तो डर ही गया था। तब से आज तक अवनि और मैं साथ में नोटस बनाते है । उसके नोट्स के चक्कर में मुझे पता चला की TV और Antina भी सब्जेक्ट होते हैं और वो मुझसे पूछती थी स्वप्निल "ये  TOM कौन सा सब्जेक्ट है यार "  और खिलखिलाकर हंसती थी। और मैं बस उसे एक टक देखता ही रहता, 
सच में उसके साथ पता ही नही चलता था दिन का, 
सारी थकान गायब सी हो जाती थी "जब उसको होस्टल छोड़ते वक्त उसकी "बाय स्वप्निल " को सुनता था।" वक्त तेजी से बीत रहा था फरवरी आ चुकी थी। 
मैं अपने करीयर के बारे मे ज्यादा सोचने लगा था। और थोडी टेंशन भी रहती थी। इस लिए अब अवनि के मेसेज के  रिप्लाई भी कम देता था। मैं चाहता था की वो मुझसे कम बात करे क्युकी मुझे पता था कि कॉलेज के बाद उसको भूलना मेरे लिए सिर्फ शब्द रहे जायेंगे। यही तो हमे सिखाती है इंजीनियरिंग , कम खर्च में बेहतरीन, यही चाहता था मैं कि हम अलग होने पर भी बेहतरीन रहे पर एक दोस्त के रूप में, आँसू और अपने सपनो को इन पर खर्च ना करे। मैं होस्टल पहुँच चुका था। सच में जिम्मेदारियां और सोच कदमो की रफ़्तारो को थाम देती है ।यही कारण था कि मैंने 10मिनट की दूरी आधे घंटे मैं तय की थी उस दिन ..... 
#जलज  कुमार
प्लेसमेंट-एक सफल असफलता 
पार्ट-3
   "सुबह 6: 30 बजे मेरा MD का लेक्चर था और अवनी की भी पावर इलेक्ट्रॉनिक्स की क्लास थी इसी लिए मैं आज सुबह 6 :00 बजे ही रूम से निकल गया था। क्युकी उससे मिलना था। मै जब कॉलेज गेट पर पहुंचा तो वो दिख गयी । मैंने उससे गुड मॉर्निंग बोला तो उसने थोड़ा नाराज होकर बोला गुड मॉर्निंग मिस्टर इग्नोरर। मुझे समझ नही आई उसकी इस बेरुखी की वजह,मैंने पूछा क्या बात है तो बोली रात मे मेसेज सींन कर  जबाब क्यों नही दिया। मै चुप हो गया, वो बोली "बताओ बताओ" । "हर सवाल का जबाब नही होता अवनि कुछ समझने पडते हैं " और इतना कहकर में क्लास लेने चला आया पूरी क्लास में शर्मा सर कुछ पढाते रहे पर मेरे मन में जब भी अवनि के उस मेसेज की तस्वीर और अर्नब की वो बात दोनो एक आंतरिक युद्ध कर रहे थे। सच मे  युद्ध मे किसी की जीत नही होती क्युकी दोनो पक्षों ने कुछ ना कुछ तो खोया होता है और मैं नही चाहता था कि मै उसको पाकर खोऊ, आखिर क्यों इतना जुड़ाव हो गया था।मुझे अवनि से 1 साल पहले ही तो वो मिली थी। पता कैसे वो मेरी जिंदगी के अहम शख्सो में शामिल हो गयी, यही तो उसकी खूबियत थी। जिसके भी करीब जाती थी उसको अपना बना लेती थी। कोई छोड़ना ही नही चाहता था उसका साथ, उसकी क्लास का टॉपर अंकित तो उसको नोट्स मे लवलेटर लिख कर भेजता था। एक बार पकड लिया मैंने उसको, वो तो डर ही गया था। तब से आज तक अवनि और मैं साथ में नोटस बनाते है । उसके नोट्स के चक्कर में मुझे पता चला की TV और Antina भी सब्जेक्ट होते हैं और वो मुझसे पूछती थी स्वप्निल "ये  TOM कौन सा सब्जेक्ट है यार "  और खिलखिलाकर हंसती थी। और मैं बस उसे एक टक देखता ही रहता, 
सच में उसके साथ पता ही नही चलता था दिन का, 
सारी थकान गायब सी हो जाती थी "जब उसको होस्टल छोड़ते वक्त उसकी "बाय स्वप्निल को सुनता था।" वक्त तेजी से बीत रहा था फरवरी आ चुकी थी। 
मैं अपने करीयर के बारे मे ज्यादा सोचने लगा था। और थोडी टेंशन भी रहती थी। इस लिए अब अवनि के मेसेज के  रिप्लाई भी कम देता था। मैं चाहता था की वो मुझसे कम बात करे क्युकी मुझे पता था कि कॉलेज के बाद उसको भूलना मेरे लिए सिर्फ शब्द रहे जायेंगे। यही तो हमे सिखाती है इंजीनियरिंग , कम खर्च में बेहतरीन, यही चाहता था मैं कि हम अलग होने पर भी बेहतरीन रहे पर एक दोस्त के रूप में, आँसू और अपने सपनो को इन पर खर्च ना करे। मैं होस्टल पहुँच चुका था। सच में जिम्मेदारियां और सोच कदमो की रफ़्तारो को थाम देती है ।यही कारण था कि मैंने 10मिनट की दूरी आधे घंटे मैं तय की थी उस दिन ..... 
#जलज  कुमार #world_health_day प्लेसमेंट-एक सफल असफलता
पार्ट-3
   "सुबह 6: 30 बजे मेरा MD का लेक्चर था और अवनी की भी पावर इलेक्ट्रॉनिक्स की क्लास थी इसी लिए मैं आज सुबह 6 :00 बजे ही रूम से निकल गया था। क्युकी उससे मिलना था। मै जब कॉलेज गेट पर पहुंचा तो वो दिख गयी । मैंने उससे गुड मॉर्निंग बोला तो उसने थोड़ा नाराज होकर बोला गुड मॉर्निंग मिस्टर इग्नोरर। मुझे समझ नही आई उसकी इस बेरुखी की वजह,मैंने पूछा क्या बात है तो बोली रात मे मेसेज सींन कर  जबाब क्यों नही दिया। मै चुप हो गया, वो बोली "बताओ बताओ" । "हर सवाल का जबाब नही होता अवनि कुछ समझने पडते हैं " और इतना कहकर में क्लास लेने चला आया पूरी क्लास में शर्मा सर कुछ पढाते रहे पर मेरे मन में जब भी अवनि के उस मेसेज की तस्वीर और अर्नब की वो बात दोनो एक आंतरिक युद्ध कर रहे थे। सच मे  युद्ध मे किसी की जीत नही होती क्युकी दोनो पक्षों ने कुछ ना कुछ तो खोया होता है और मैं नही चाहता था कि मै उसको पाकर खोऊ, आखिर क्यों इतना जुड़ाव हो गया था।मुझे अवनि से 1 साल पहले ही तो वो मिली थी। पता कैसे वो मेरी जिंदगी के अहम शख्सो में शामिल हो गयी, यही तो उसकी खूबियत थी। जिसके भी करीब जाती थी उसको अपना बना लेती थी। कोई छोड़ना ही नही चाहता था उसका साथ, उसकी क्लास का टॉपर अंकित तो उसको नोट्स मे लवलेटर लिख कर भेजता था। एक बार पकड लिया मैंने उसको, वो तो डर ही गया था। तब से आज तक अवनि और मैं साथ में नोटस बनाते है । उसके नोट्स के चक्कर में मुझे पता चला की TV और Antina भी सब्जेक्ट होते हैं और वो मुझसे पूछती थी स्वप्निल "ये  TOM कौन सा सब्जेक्ट है यार "  और खिलखिलाकर हंसती थी। और मैं बस उसे एक टक देखता ही रहता, 
सच में उसके साथ पता ही नही चलता था दिन का, 
सारी थकान गायब सी हो जाती थी "जब उसको होस्टल छोड़ते वक्त उसकी "बाय स्वप्निल " को सुनता था।" वक्त तेजी से बीत रहा था फरवरी आ चुकी थी। 
मैं अपने करीयर के बारे मे ज्यादा सोचने लगा था। और थोडी टेंशन भी रहती थी। इस लिए अब अवनि के मेसेज के  रिप्लाई भी कम देता था। मैं चाहता था की वो मुझसे कम बात करे क्युकी मुझे पता था कि कॉलेज के बाद उसको भूलना मेरे लिए सिर्फ शब्द रहे जायेंगे। यही तो हमे सिखाती है इंजीनियरिंग , कम खर्च में बेहतरीन, यही चाहता था मैं कि हम अलग होने पर भी बेहतरीन रहे पर एक दोस्त के रूप में, आँसू और अपने सपनो को इन पर खर्च ना करे। मैं होस्टल पहुँच चुका था। सच में जिम्मेदारियां और सोच कदमो की रफ़्तारो को थाम देती है ।यही कारण था कि मैंने 10मिनट की दूरी आधे घंटे मैं तय की थी उस दिन ..... 
#जलज  कुमार