बचपन और शैतानी वो मस्त नींद वो मस्त कहानी, दो पल मैं खुश करने वाली अम्मा सुहानी, ना जाने कहाँ गया बचपन और शैतानी। ना फिक्र की बारिश , ना चिंता की निशानी सुबह की स्कूल , और रात को परीयों की कहानी ना जाने कहाँ गयी वो शाम सुहानी। शाम को छुपम छुपाई, फिर जीतने के लिए वही हाथापाई, दोस्ती का हाथ बढ़ाकर खेलते थे हम पकड़म पकड़ाई, ना जाने कहाँ गए वो दिन , बस रह गयी वो यादें पुरानी । डरावनी कहानी दादी की जुबानी, वही गुड़िया के बाल ...और केरम की रानी , कच्ची गलियों के किस्से , और भूतिया घर की कहानी, ना जाने कहाँ गया वो बचपन और शैतानी।❣️❣️ #thanks gargi kataria for helping it out #bachpann aur shetani #follow if you loved it #true poetry by heart #love @nojoto pooja negi# R..Rahul💎💎 Neeraj Bakle (neer✍🏻)