White शाम सी मोहब्बत तेरी, सुबह की तलाश में..! ज़िन्दगी गुज़र रही हाय, कभी आस कभी काश में..! उड़ रहे ख़्वाहिशों के पँछी, इधर-उधर ख़्वाबों के आकाश में..! कब होगा मुकम्मल मेहरबाँ इश्क़, उल्लेखित उपन्यास में..! तेरी मेरी दास्ताँ-ए-मोहब्बत, लिखी जाये इतिहास में..! बसाया तुमको हमने सनम, मन के पावन कैलाश में..! ©SHIVA KANT(Shayar) #Shamsimohabbatteri