दीवारें वो छोटी ही रखता है अपने कद से ताकि बिन माँगें बढ़ा सके मदद का हाथ झाँक सके कि बगल वाले घर में मिट्टी के चूल्हे पर क्या पक रहा है ? चेहरे पर आते जाते भावों को वो पढ़ने की कोशिश करता है आजकल की ऊंची -ऊंची जगमगती बिल्डिंग्स उसे भाती नहीं जिनमें होते हैं हर एक के लिए नितांत अकेले कमरे... फोटोफ्रेम और फूलदान से सजी टेबल भावनायें जैसे कैद हों रंगीन चादर और खूबसूरत कुशन्स से ढंक दिये जाते हैं जख़्म कोई.. ©🇮🇳करिश्मा राठौर #कच्चे मकान बनाम ऊंची बिल्डिंग्स