सीता माता का पता लगाकर, जब हनुमान जी ने आकर श्रीराम जी को सुखद समाचार सुनाया। श्रीराम का हृदय अत्यंत हर्षाया और वानर सेना लेकर लंका पर चढ़ाई करने का विचार बनाया। अथाह समुद्र को जब पार करने की सोची, तब श्रीराम का मन विचलित होकर बहुत अकुलाया। समुद्र से मार्ग की चाह में राम ने तीन दिनों तक तपस्या कर, समुद्र को मनाने का बीड़ा उठाया। अत्यंत निष्ठुर था समुद्र जब प्रेम से ना माना, तब क्रोधित हो राम ने धनुष पर बाण चढ़ाया। जलधि देवता तब बहुत घबरा गए, प्रभु से क्षमा मांगी और मार्ग ना देने का कारण भी बताया। सागर ने राम को समुद्र पर विश्वकर्मा पुत्र नल और नील के द्वारा पुल बांधने का उपाय सुझाया। सेतु निर्माण का कार्य नल-नील को सौंपा, दोनों ने पत्थरों पर राम नाम लिख सागर में तैराया। रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तरी पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य रामसेतु निर्माण किया। समुद्र पर सौ योजन लम्बा और दश योजना चौड़ा अद्भुत सेतु वानरों ने मात्र पांच दिन में बना दिया। पुल के तैरते पत्थरों ने सिद्ध किया कि स्वयं राम से ज्यादा बल उनके नाम में है रामसेतु कहलाया। सेतु से वानर सेना ने जाकर रावण की लंका पर चढ़ाई की, राम ने रावण को मारा, सीता को छुड़ाया। -"Ek Soch" #yqbaba #yqdidi #myquote #openforcollab #collabwithmitali #ramayan_ka_saar #ram_setu 📀Time limit till 11:59 pm tommorow... 📀No word limit