अब झिझक कैसी जब हम दोनों बन गए दो जिस्म एक जान। मैं दीया तुम बाती बने एक दूसरे की पहचान। अब तो शर्म–ओ–हया के पर्दे गिराकर कर दो अपनी मोहब्बत का इज़हार। मेरे सूनी ज़िन्दगी में बार बार फिर कर दो प्यार की बरसात। आओ तुम आज मेरे इतने जिस्म के क़रीब। महसूस करा दूँ आज तुम्हें अपनी मोहब्बत की तपिश। आलिंगन कर सब कुछ भूल एक दूजे में खो जाना है। मधुरमास के मधु मिलन में एक दूसरे में फ़ना हो जाना है। सारी झिझक मिट गईं अब फिर भी तुम लजाती शरमाती घबराती हो। मेरे दिल के सारे तार छेड़ तुम मेरे दिल की घंटी बजा जाती हो। तेरी इन्हीं अदाओं पर बार बार दिल फिसल जाता है। मोहब्बत के फूल खिला कर मेरा दिल तेरा आशिक़ हो जाता है। ♥️ Challenge-906 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।