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हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में, उसे मन


हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में,
उसे मनाना हो, रूठकर उससे मनवाना हो, 
उसे रिझाना हो, जब मीठी बातें सुनाना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं....

उसके ख़्वाबों-ख़यालों में निशाँ छोड़ना हो, 
दिलों दिमाग़ का सब, जब नाम कराना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं....

बारिश की बूँदों में 'हम' एहसास ढूँढ़ना हो,
बसंती हवा में इश्क़ की मिठास भेजना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं....

बाँट के उसका दर्द, लम्हा हसीं बिताना हो,
भुला के अपना दर्द, उसको ही हँसाना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... 

हक़ीक़त से करा रूबरू, सब्र सिखाना हो, 
नसीब की ज़िद में, खुदी कब्र दिखाना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं....

नींद से दुश्मनी की असल वजह बताना हो, 
छोड़ ज़ख़्म,उसके दिल में जगह बनाना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं....
-संगीता पाटीदार 'धुन'  Rest Zone 'काव्योगिता', 
कविता पुनर्निर्माण, चौथा पड़ाव
'हमेशा देर कर देता हूँ'- मुनीर नियाज़ी जी 


हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में,
उसे मनाना हो, रूठकर उससे मनवाना हो, 
उसे रिझाना हो, जब मीठी बातें सुनाना हो।

हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में,
उसे मनाना हो, रूठकर उससे मनवाना हो, 
उसे रिझाना हो, जब मीठी बातें सुनाना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं....

उसके ख़्वाबों-ख़यालों में निशाँ छोड़ना हो, 
दिलों दिमाग़ का सब, जब नाम कराना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं....

बारिश की बूँदों में 'हम' एहसास ढूँढ़ना हो,
बसंती हवा में इश्क़ की मिठास भेजना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं....

बाँट के उसका दर्द, लम्हा हसीं बिताना हो,
भुला के अपना दर्द, उसको ही हँसाना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... 

हक़ीक़त से करा रूबरू, सब्र सिखाना हो, 
नसीब की ज़िद में, खुदी कब्र दिखाना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं....

नींद से दुश्मनी की असल वजह बताना हो, 
छोड़ ज़ख़्म,उसके दिल में जगह बनाना हो। 
हमेशा देर कर देता हूँ मैं....
-संगीता पाटीदार 'धुन'  Rest Zone 'काव्योगिता', 
कविता पुनर्निर्माण, चौथा पड़ाव
'हमेशा देर कर देता हूँ'- मुनीर नियाज़ी जी 


हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में,
उसे मनाना हो, रूठकर उससे मनवाना हो, 
उसे रिझाना हो, जब मीठी बातें सुनाना हो।