झोपड़ी तो यू बन जाते हैं जनाब महलो को बनने में समय लग जाते है।। हौशला तो कुछ करने का हम में भी है, परंतु पंखों के उड़ान में समय लग जाते है।। कुछ करने का जुनून तो सब मे है, परंतु सपने किनार लग जाते है।। हजार लक्षय में से एक लक्ष्य चुनते ही है, की उम्र हजार निकल जाते है।। झोपड़ी तो यू बन जाते है जनाब महलो को बनने में समय लग जाते है।। टूटे हौशले से कभी लक्ष्य पा न सके, नाव सामने खड़ी थी किनारे जा न सके।। लक्ष्य चुनने के मेले में हम यू गम हुए की अपने ही लक्ष्य को नजरअंदाज कर बैठे।। फिर कहते है कि वो मिला ही नही खुद से लक्षय को बेकार कर बैठे।। फिर बेरोजगार हुए घूमते रहे सड़को पर और अपना दोष सरकार पर लगा बैठे।। फिर पता चला कि हजार लक्ष्य के पीछे हार कर सपना नीलम कर बैठे।। फिर समझा कि महल की सपने देखते देखते हम झोपड़ी को भी नजरअंदाज कर बैठे।। हमारा लक्ष्य