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जिन्दगी, मैं भी मुसाफ़िर हूं बुलंदियों का इस खुले

जिन्दगी, मैं भी मुसाफ़िर हूं बुलंदियों का
इस खुले जहां में सफ़र जैसे परिंदो का।
रस्ते हैं  बड़े कठिन यहां जिद में  अड़े,
मेरे हौसले भी तो जिद्दी है  पथ में खड़े।।

पसीने से तरबतर सूरज की तपिश में,
उड़ता चलूं यहां मंजिलों की खलिश में।
चादर तूफानों का मैं ओड़ता चला जाऊं,
अंकुर बन धरा को  चीरता चला जाऊं।।
 

                                 - jivan kohli #बुलंदियाँ 
#प्रेरक 
# मंजिलों का सफ़र@ Hemant.Bahuguna. @shilpi gupta @Anshu writer  @Govind Pandram @Reena Prajapati
जिन्दगी, मैं भी मुसाफ़िर हूं बुलंदियों का
इस खुले जहां में सफ़र जैसे परिंदो का।
रस्ते हैं  बड़े कठिन यहां जिद में  अड़े,
मेरे हौसले भी तो जिद्दी है  पथ में खड़े।।

पसीने से तरबतर सूरज की तपिश में,
उड़ता चलूं यहां मंजिलों की खलिश में।
चादर तूफानों का मैं ओड़ता चला जाऊं,
अंकुर बन धरा को  चीरता चला जाऊं।।
 

                                 - jivan kohli #बुलंदियाँ 
#प्रेरक 
# मंजिलों का सफ़र@ Hemant.Bahuguna. @shilpi gupta @Anshu writer  @Govind Pandram @Reena Prajapati
jiwankohli5560

Jiwan Kohli

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