अजीब सी कश्मकश में बीत रही है ज़िन्दगी, समझ नहीं आता बुरा हूं या कलेजेवाला,जो इतना परख रही है ज़िन्दगी। सामने ना सही ,कभी सपने में ही आ मिल ए जिन्दगी, कुछ बातें ,कुछ सवालात,कुछ गुफ्तगू करनी है तुझसे, घंटो ना सही ,कुछ पल ही रूबरू होजा ए जिन्दगी। माना तू मुझे जीना सिखा रही है,पर थोड़ा तरीका तो बदल ए जिन्दगी, इतना जल्दी ही अगर सीखा देगी सब कुछ , तो भेदी बन जाऊंगा तेरा मै ए ज़िन्दगी। जब खुद जान जाऊंगा सब कुछ,तो तुझे कौन पूछेगा ए जिन्दगी, ना हारूंगा मै ,ना थकुंगा मै,बस थोड़ा सेहेम सा जाता हूं ए ज़िन्दगी, हिम्मत दौड़ती है रगो में मेरे,इतना तू भी जान ले ए जिन्दगी। ©Pink.M words of pink.