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बहार की राहों में, खोया हूँ मैं, खुशबू से भरा हूँ

बहार की राहों में, खोया हूँ मैं,
खुशबू से भरा हूँ मैं, फिर भी अकेला हूँ मैं।

फूलों की बौछार में, बहका हूँ मैं,
धूप की किरणों में, झलका हूँ मैं।

फिर भी क्यों लगे, अधूरा हूँ मैं?
क्यों लगे जैसे, खोया हूँ मैं।

उड़ान की इस बहार में, कैसे रूका हूँ मैं?
सपनों की राहों में, खो गया हूँ मैं।

जीवन की मिटटी में, बहका हूँ मैं,
ख्वाबों की धूप में, जला हूँ मैं।

ना जाने क्यों क्या है, इस बहार में,
पर हर लम्हा, अपने ही होश में मदहोश हूँ मैं।

©शायर "श्री"
  अपने ही होश में मदहोश हूँ मैं...✍️
#Blossom

अपने ही होश में मदहोश हूँ मैं...✍️ #Blossom #ज़िन्दगी

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