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"बिन फेरे हम तेरे -3" कल टटोला जब खुद को सैकड़ों ग

"बिन फेरे हम तेरे -3"

कल टटोला जब खुद को सैकड़ों गड्डों में सैकड़ों वीरानियाँ मिली,,,,,,,,,
ठंड  से ख़ुश्क पड़ गए है गड्डों में ख्वाहिशें मुझे खोदी जा रही थीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,   

           आज इन गड्ढों में फुरसत से बैठ के ख़्वाहिशों की खोदी हुई मिट्टी और खुशफैमियों का लेप बनाके भरना शुरू किया,,,,,,,,,,,,

      इक गड्ढे में था इक दोस्त पुराना जिसे अब उसके सच्चे दोस्त मिल गए थे ,,,,,,,,,भर डाला उसे के उसकी तलाश ख़त्म ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

इक गड्ढे में रख्खी थी ख्वाहिश गले लगने की टूट के रोना था और ये कहना था कि अब मैं हूँ ........ पर अब पापा नहीं हैं ............................,,,,,,,,,,,,,,

कुछ गड्डों में ख़्वाहिश थी दुनिया घूमने की मैंनें गूगल मेप पे इनको दुनिया दिखा दी ,,,,,,,,,,,,,,

कुछ गद्दों में मिली बचपनें की ख्वाहिशें जिनको कभी सेना में जाना था , ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
                               तो कभी तारों के पीछे जा के देखना था कि ये कौन सी रस्सी से लटकते रहते हैं ,,,,,,,,,,,,,,
 
 इक गद्दा था जिसमें से पानी भी रिस रहा था पास जाके देखा तो इक ख़्वाहिश रो रही थी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
   
   ,,,,,,,कि चलो देर से सही तुमने अपने बदन पे पड़ चुके गड्डों के लिए वक़्त तो निकाला वो पानी नहीं खुशी के आँसू थे उसके पगली के ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

सुनो तुम भी हो इन गड्डों में, कई परतें हटानी पड़ी मुझको इस ख़्वाहिशों वाली मिट्टी की ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

 तब जा के तुम तक पहुँच सका इसको मैंनें उन तमाम लम्हों से भर डाला शायद थे हमारे या न मेरे न तेरे बिन फेरे हम तेरे बिन फेरे हम तेरे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©️✍️ सतिन्दर 
15.01.19 #NojotoQuote बिन फेरे हम तेरे -3
                    "बिन फेरे हम तेरे -3"

कल टटोला जब खुद को सैकड़ों गड्डों में सैकड़ों वीरानियाँ मिली,,,,,,,,,
ठंड  से ख़ुश्क पड़ गए है गड्डों में ख्वाहिशें मुझे खोदी जा रही थीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,   

           आज इन गड्ढों में फुरसत से बैठ के ख़्वाहिशों की खोदी हुई मिट्टी और खुशफैमियों का लेप बनाके भरना शुरू किया,,,,,,,,,,,,
"बिन फेरे हम तेरे -3"

कल टटोला जब खुद को सैकड़ों गड्डों में सैकड़ों वीरानियाँ मिली,,,,,,,,,
ठंड  से ख़ुश्क पड़ गए है गड्डों में ख्वाहिशें मुझे खोदी जा रही थीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,   

           आज इन गड्ढों में फुरसत से बैठ के ख़्वाहिशों की खोदी हुई मिट्टी और खुशफैमियों का लेप बनाके भरना शुरू किया,,,,,,,,,,,,

      इक गड्ढे में था इक दोस्त पुराना जिसे अब उसके सच्चे दोस्त मिल गए थे ,,,,,,,,,भर डाला उसे के उसकी तलाश ख़त्म ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

इक गड्ढे में रख्खी थी ख्वाहिश गले लगने की टूट के रोना था और ये कहना था कि अब मैं हूँ ........ पर अब पापा नहीं हैं ............................,,,,,,,,,,,,,,

कुछ गड्डों में ख़्वाहिश थी दुनिया घूमने की मैंनें गूगल मेप पे इनको दुनिया दिखा दी ,,,,,,,,,,,,,,

कुछ गद्दों में मिली बचपनें की ख्वाहिशें जिनको कभी सेना में जाना था , ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
                               तो कभी तारों के पीछे जा के देखना था कि ये कौन सी रस्सी से लटकते रहते हैं ,,,,,,,,,,,,,,
 
 इक गद्दा था जिसमें से पानी भी रिस रहा था पास जाके देखा तो इक ख़्वाहिश रो रही थी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
   
   ,,,,,,,कि चलो देर से सही तुमने अपने बदन पे पड़ चुके गड्डों के लिए वक़्त तो निकाला वो पानी नहीं खुशी के आँसू थे उसके पगली के ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

सुनो तुम भी हो इन गड्डों में, कई परतें हटानी पड़ी मुझको इस ख़्वाहिशों वाली मिट्टी की ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

 तब जा के तुम तक पहुँच सका इसको मैंनें उन तमाम लम्हों से भर डाला शायद थे हमारे या न मेरे न तेरे बिन फेरे हम तेरे बिन फेरे हम तेरे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©️✍️ सतिन्दर 
15.01.19 #NojotoQuote बिन फेरे हम तेरे -3
                    "बिन फेरे हम तेरे -3"

कल टटोला जब खुद को सैकड़ों गड्डों में सैकड़ों वीरानियाँ मिली,,,,,,,,,
ठंड  से ख़ुश्क पड़ गए है गड्डों में ख्वाहिशें मुझे खोदी जा रही थीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,   

           आज इन गड्ढों में फुरसत से बैठ के ख़्वाहिशों की खोदी हुई मिट्टी और खुशफैमियों का लेप बनाके भरना शुरू किया,,,,,,,,,,,,