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बस भीग रहा हूं, उसकी यादों की बारिशों में। थमने क

बस भीग रहा हूं, 
उसकी यादों की बारिशों में।
थमने का नाम नहीं लेती, 
आंधीयों संग बरसने में।।
क्यों ऐसा होता है। 
दिल बार-बार किसी की ,
यादों में क्यों रोता है।।
भीग भीग जाता हूं, 
जब उसकी यादों में।
रोक नहीं पाता खुद को, 
उस गंभीर हालतों में।।
तड़प भी बड़ी अजीब होती है। 
बेकाबू करके कभी, 
झुम-झुम कर खुश होती है।।
अंधकार बड़ा फैला है,
यादों के महलों में।
कभी बरसो लग जाते,
उजालों को तलाशने में।।
भूल जाऊं तो कैसे, 
उन यादों से भीगा खड़ा, 
ताक रहा राह में।
आंखों से आंसू भी, 
निकलते निकलते थक चुके,
इस कहानी में।
बस भीग रहा हूं, 
उसकी यादों की बारिशों में.....

©Yogendra Nath #OneSeason#भीग रहा हूं मैं
बस भीग रहा हूं, 
उसकी यादों की बारिशों में।
थमने का नाम नहीं लेती, 
आंधीयों संग बरसने में।।
क्यों ऐसा होता है। 
दिल बार-बार किसी की ,
यादों में क्यों रोता है।।
भीग भीग जाता हूं, 
जब उसकी यादों में।
रोक नहीं पाता खुद को, 
उस गंभीर हालतों में।।
तड़प भी बड़ी अजीब होती है। 
बेकाबू करके कभी, 
झुम-झुम कर खुश होती है।।
अंधकार बड़ा फैला है,
यादों के महलों में।
कभी बरसो लग जाते,
उजालों को तलाशने में।।
भूल जाऊं तो कैसे, 
उन यादों से भीगा खड़ा, 
ताक रहा राह में।
आंखों से आंसू भी, 
निकलते निकलते थक चुके,
इस कहानी में।
बस भीग रहा हूं, 
उसकी यादों की बारिशों में.....

©Yogendra Nath #OneSeason#भीग रहा हूं मैं

#OneSeason#भीग रहा हूं मैं #कविता