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दुनिया एक परिवार ......................... मानव ह

दुनिया एक परिवार
.........................

मानव होकर दानव सा क्यूं कर रहा तू व्यवहार है?
सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है।
रिश्वतखोरी, दहशतगर्दी, फरेब से क्यूं सरोकार है?
तप के बल पर प्रेम से मिलकर चलता यह संसार है।

कहीं तोप कहीं मिसाइल कहीं बम के क्यूं है चरचे?
कहीं राम कहीं रहिम के नाम पर क्यूं बंटते है परचे?
कोई आमदा तुला हुआ क्यूं सबकी निशानी मिटाने को?
कोई डंट कर खड़ा हुआ क्यूं हैवानी दिखलाने को?
कहीं पर मरघट लाशों का क्यूं लगा हुआ दरबार है?
सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है।

क्यूं लगती कहीं पर बोली जिस्मानी अरमानों का?
गला घोंटे खड़ा कोई क्यूं भलमनसाहत मानों का?
भूखे पेट तड़प कर कोई आत्महत्या क्यूं करता है?
सब कुछ लूट कर भी कोई डकार क्यूं नहीं भरता है?
कहीं किसी के कष्टों का क्यूं रचा जा रहा पहाड़ है?
सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है।

कहीं पर कोई मजदूरों की सियासत में पड़ा रहा,
कहीं पर कोई दंभ भर, निज वसूलों में अड़ा रहा।
अपनी रोटी सेंके सबने किसी के मन न वह भाया,
अपनी किस्मत पर रोता बस राष्ट्र अकेला खड़ा रहा।
मरने और मिटाने का क्यूं चल रहा कारोबार है?
सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है।

©Tarakeshwar Dubey दुनिया एक परिवार

#Darknight
दुनिया एक परिवार
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मानव होकर दानव सा क्यूं कर रहा तू व्यवहार है?
सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है।
रिश्वतखोरी, दहशतगर्दी, फरेब से क्यूं सरोकार है?
तप के बल पर प्रेम से मिलकर चलता यह संसार है।

कहीं तोप कहीं मिसाइल कहीं बम के क्यूं है चरचे?
कहीं राम कहीं रहिम के नाम पर क्यूं बंटते है परचे?
कोई आमदा तुला हुआ क्यूं सबकी निशानी मिटाने को?
कोई डंट कर खड़ा हुआ क्यूं हैवानी दिखलाने को?
कहीं पर मरघट लाशों का क्यूं लगा हुआ दरबार है?
सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है।

क्यूं लगती कहीं पर बोली जिस्मानी अरमानों का?
गला घोंटे खड़ा कोई क्यूं भलमनसाहत मानों का?
भूखे पेट तड़प कर कोई आत्महत्या क्यूं करता है?
सब कुछ लूट कर भी कोई डकार क्यूं नहीं भरता है?
कहीं किसी के कष्टों का क्यूं रचा जा रहा पहाड़ है?
सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है।

कहीं पर कोई मजदूरों की सियासत में पड़ा रहा,
कहीं पर कोई दंभ भर, निज वसूलों में अड़ा रहा।
अपनी रोटी सेंके सबने किसी के मन न वह भाया,
अपनी किस्मत पर रोता बस राष्ट्र अकेला खड़ा रहा।
मरने और मिटाने का क्यूं चल रहा कारोबार है?
सोंच कर देखो पूरी दुनिया अपना ही परिवार है।

©Tarakeshwar Dubey दुनिया एक परिवार

#Darknight