सफि़ने में चला था मैं, पहुँचने पार मंजिल के, सफ़र में ही डुबोया जो, रहा था नाख़ुदा मेरा। *सफ़ीना - नाँव/जहाज़ *नाख़ुदा - जहाज़ का कैप्टेन। बस आजकल कुछ ऐसा ही होता है। ~ इकराश़ #YqBaba #YqDidi #इकराश़नामा #शेर_ए_इकराश़