सोचो जिंदगी में अगर ये काश ना होता हर बात के लिए कोई बहाना पास ना होता मिल जाते सबको उनके सवालों के जवाब हर ख्वाहिश हो जाती पूरी और कोई भी उदास ना होता मिल जाती दीवानों को मोहब्बत उनकी, इश्क में कोई आशिक बर्बाद ना होता खुशियां होती जमाने में सारे, किसी की आंखों में आंसुओं का सैलाब ना होता !! लेकिन एक बार फिर सोचो अगर ये काश ना होता कोई शिकवा, शिकायत या ग़म हमारे पास ना होता ख्वाहिशें अधूरी ना होती दिल में कोई दर्द ना होता आंखों में सपने ना होते, तो क्या खाक मजा आता ऐसे जीने में सोचो अगर जिंदगी में ये काश ना होता मुझे तो लगता है फिर कोई रिश्ता भी कभी इतना खास ना होता!! अरे ये काश ही है जिससे सबको कोई न कोई आस है ये काश ही है जिससे रिश्तों में बचा थोड़ा सा विश्वाश है ये काश ही है कि आज भी कुछ रिश्ते हमारे खास है ये काश ही है जो हमें लड़ना सिखाता है ये काश ही है जो गिर कर संभलना सिखाता है ये काश ही है जिसने सबको जोड़े रखा है अरे ये काश ही है मेरे दोस्त जिसने हर हाल में जीना सिखाया है!! कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज) ©Indresh Dwivedi #सोचो_अगर_ये_काश_ना_होता