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जब घड़ियां टिक टिक करती है, रात हमे समझाती है, हम

जब घड़ियां टिक टिक करती है,

रात हमे समझाती है,

हम निपट अकेले कमरे में

गुम सुम सा हो जाते है,

जब सारी दुनिया का समझाना 

बेईमानी सा लगता है,

तब हमें बस रोना ही अच्छा लगता है
जब घड़ियां टिक टिक करती है,

रात हमे समझाती है,

हम निपट अकेले कमरे में

गुम सुम सा हो जाते है,

जब सारी दुनिया का समझाना 

बेईमानी सा लगता है,

तब हमें बस रोना ही अच्छा लगता है