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पुष्प की अभिलाषा चाह नहीं सम्राटों के शव, पर, हे

पुष्प की अभिलाषा 

चाह नहीं सम्राटों के शव,
पर, हे हरि डाला जाऊँ।
चाह नहीं, देवों के सिर पर,
चढ़ूँ ,भाग्य पर इठलाऊँ।

मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर तुम देना फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।

©Ratnesh Kumar Mishra
  #पुष्पकीअभिलाषा  Anupriya Rk