इतने भी जालिम मत बनिए हजूर, अब तो जिस्म से रूह भी रुखसत हों चली ।। लफ्जो से ना सही आंखो से ही जज्बातों को जाहिर कर लेने दीजिए ।। #आंखो का पानी ही सही मगर आज तो बेह लेने दीजिए।