रहा न दिल में वह बेदर्द और दर्द रहा मुकीम कौन हुआ मुक़ाम किसका था ! तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किसका था न था रक़ीब तो आख़िर वह नाम किसका था ! वफ़ा करेंगे निवाहेंगें बात मानेंगे तुम्हें भी याद है कुछ यह कलाम किसका था ! रहा न दिल में वह बेदर्द और दर्द रहा मुकीम कौन हुआ मुक़ाम किसका था